(मर्यादा महोत्सव 2016 में आचार्य श्री महाश्रमणजी द्वारा दिया गया पावन संदेश)
संतुलन ही सामायिक है। अध्यातम का पहला सोपन है - सामायिक। कहते हैं कि साधना के क्षेत्र में सर्वाधिक मूल्य किसी का है तो वो है "समता" और "समता की साधना" का उत्तम मार्ग सामायिक है सम + आयिक = सामायिक यानि जहां समता का आय हो, समता का लाभ हो।