संगठन का प्राण है, उसके कार्यकर्त्ता। वो कार्यकर्त्ता जिनका जीवन पुरुषार्थ, सक्रियता, समर्पण एवं निष्ठा से ओत-प्रोत हो। परमपूज्य गुरुदेव तुलसी की परिकल्पना थी कि हमारे युवकों का एक ऐसा संगठन तैयार हो, जो रिजर्व फ़ोर्स के रूप में राष्ट्रिय स्तर पर पहचाना जाए।
युवा वाहिनी उसी कल्पना का मूर्तरूप है। इसके सदस्य 24X7 संग एवं समाज को अपनी सेवा प्रदान करेंगे। ये सदस्य सेवा के सभी प्रयोजनों के लिए आधुनिक रूप से प्रशिक्षित होंगे जो समय-समय पर समाज एवं राष्ट्र की सेवा में तत्पर रहेंगे।
तेरापंथ युवक परिषद् की समस्त शाखाएं अपनी यहाँ युवा वाहिनी का गठन करें। इनमें अपनी परिषद् के 10-20 प्रतिशत का एक समूह युवा वाहिनी के नाम से बनाएं। जिसमे उन युवकों को प्राथमिकता दी जाये जो अहिंसा यात्रा एवं चरित्रात्माओं की रास्ते की सेवा, किसी भी प्रकार की आपातकालीन परिस्थितियों, संघीय आयोजनों में सहभागी बनने में रूचि रखते हों। संगठित दल का निर्माण कर युवा वाहिनी को राष्ट्रिय स्तर पर Disaster Force के रूप में स्थापित किया जा सके।